Atal Bihari Vajpayee Hindi Vishwavidyalaya - ABVHV: Promoting Hindi Language and Culture.

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अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना १९ दिसम्बर २०११ को मध्यप्रदेश अधिनियम क्रमांक - ३४, सन् २०११ के द्वारा की गयी। यह अधिनियम २१ दिसम्बर २०११ से प्रभावशील माना गया है। विश्वविद्यालय का प्रमुख उद्देश्य हिन्दीभाषा को अध्यापन, प्रशिक्षण, ज्ञान की वृद्धि और प्रसार के लिए तथा विज्ञान, साहित्य, कला और अन्य विधाओं में उच्चस्तरीय गवेषणा के लिए शिक्षण का माध्यम बनाना है।

माननीय अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म २५ दिसम्बर,१९२५ को उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के बटेश्वर के मूल निवासी पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी के घर शिंदे की छावनी, ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में हुआ। माननीय अटल जी की स्नातक तक की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई महाविद्यालय) में हुई। कानपुर के डी.ए.वी. कॉलेज से राजनीतिशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर रहकर एल.एल.बी. का अध्ययन प्रारम्भ किया, जिसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा के साथ सामाजिक कार्य में जुट गये। आप राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में छात्र-जीवन से ही भाग लेते रहे। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलतापूर्वक किया। एक कुशल एवं सशक्त सम्पादक के रूप में माननीय अटल जी को प्रतिभा सर्वमान्य एवं सर्वव्यापी प्रसिद्ध हुई। माननीय अटल जी में कवित्व के गुण वंशानुगत प्राप्त हुए। वे हिन्दी के सिद्ध कवि के रूप में प्रख्यात हैं। ‘‘मेरी ५१ कविताएँ’’ अटल जी का प्रसिद्ध काव्य संग्रह है। राजनीति के साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता उनकी कविताओं में प्रकट होती रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आंदोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी ।

अटल जी का राजनैतिक जीवन भारतीय जनसंघ की स्थापना से प्रारम्भ होता है। सन् १९६८ से १९७३ तक वे इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सन् १९५७ में बलरामपुर (उत्तरप्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर प्रथम बार लोकसभा में पहुँचे। १९५७ से १९७७ तक जनसंघ संसदीय दल के नेता रहे। उन्होंने १९७७ से लेकर १९७९ तक भारतीय विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया। अटल जी पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया। लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत संघ के ग्यारहवें प्रधानमंत्री के रूप में १६ मई १९९६ में देश की बागडोर संभाली।

अटल जी ने गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रूप में पाँच वर्षों का कार्यकाल पूर्ण किया। अटल जी ने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था और उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। एक ओजस्वी वक्ता के रूप में परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की नाराजगी से बिना विचलित हुए उन्होंने अग्नि-२ और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिए साहसिक कदम भी उठाए। इनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा गुण उनकी सरलता है जिससे उनके जीवन में कहीं भी कोई व्यक्तिगत विरोधाभास नहीं दिखता। मित्रों के साथ विरोधियों में भी अटल जी समान रूप से लोकप्रिय हैं।

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